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क्या कसूर था आखिर मेरा ? भाग ७

घर आ कर अंजली अमित की कही बातो को याद करके मुस्कुराती । आयने मैं अपने आप को निहारती ।


उधर अमित बरामदे मै बैठा अंजली को याद कर मुस्कुराता है। तभी पीछे से राकेश उसकी कमर पर हाथ मारते हुए कहता है। भगवान की किरपा से सगाई अच्छे से हो गई। तू बता तू क्यों इतना खामोश बैठा हैं कुछ हुआ है क्या मोसा जी और मौसी तो सही हैं।

हा भाई सब सही हैं । बस , सगाई मै।

सगाई मै क्या अमित , राकेश पूछता है।

राकेश , तू मेरा सिर्फ एक कसिन ही नही है । मेरा एक अच्छा दोस्त भी है जिसके साथ मै अपना सुख दुख सांझा करता हू। मुझे शहर मै तेरी बोहोत याद आती हैं। मै जानता हू राकेश कहता है लेकिन आज ये सब क्यू कह रहा है अमित कुछ तो हुआ था जरूर सगाई मै 

हा भाई बोहोत कुछ हुआ था आज सगाई मै । ऐसा की मैं अब तक भूला नही हू। ऐसा भी क्या हुआ था किसी ने कुछ बदतमीजी करी राकेश गुस्से में कहता है।

अरे नहीं नहीं ऐसा कुछ नही उन लोगो ने तो मेरी बोहोत खातिर दारी करी । तो फिर क्या हुआ ऐसा राकेश पूछता है।

भाई तूझे याद है वो गुलाबी साड़ी मे जो लङकी थी खूबसूरत सी । जो भाभी के साथ थी और तुमसे भी बाते कर रही थी।
अंजली ओह तुम अंजली की बात कर रहे हो राकेश कहता है।

हा हा वही लङकी यार उस लङकी में कुछ जादू सा है जब से उसे देखा है मैं तो सब कुछ भूल बैठा हूं उसकी वो बडी बडी हिरनी जैसी  आंखे जिनमे बारीक सा सुरमा गुलाबी गाल और गुलाब की पंखुड़ियो जैसे उसके वो गुलाबी होंठ और उस पर उसके खुले काले और घने बाल जो उसकी कमर तक आ रहे थे। यार उसका चेहरा बार बार मेरी आंखों के सामने आ रहा हैं उसको दोबारा देखने को दिल कर रहा हैं।

बस भाई बस थोड़ा ब्रेक पर पाव रख तुने तो एक शायर की तरह उसके हर एक अंग की तुलना कर दी । राकेश मुस्कुराते हुए कहता है।

मुझे लगता है तुम्हारे इस बंद पड़े दिल के दरवाजे पर मोहब्ब्त ने दस्तक दे दी । राकेश कहता है 

मोहब्ब्त , ऐसी होती है मोहब्ब्त की पहली दस्तक अमित ने चोक कर पूछा।

हा मेरे भाई ऐसी ही होती है मोहब्ब्त की पहली दस्तक । जिसमे उसको दोबारा देखने को जी करता हैं । फिर उससे अपने दिल की बात करने को दिल करता है। ये मोहब्ब्त भी ना आदमी को बेबस कर देती है जमाने से बिल्कुल जुदा कर देती हैं । सिर्फ और सिर्फ़ अपने महबूब का ही खयाल आता है दिल और दिमाग सिर्फ और सिर्फ उसी के बारे मैं सोचना चाहता हैं ना चाह कर भी । मेरा भी यही हाल था कुछ महीनो पहले। राकेश दिल के जज्बात जुबान से बयान करते हुए कहता है।

सही कहा भाई मेरा दिल भी यही सब करने को कह रहा है क्या इसी का नाम मोहब्ब्त है। लेकिन मैं तो कल जा रहा हू शहर शायद मेरे नसीब मै मोहब्ब्त करना नहीं है। और अगले महीने से बच्चों की परीक्षाएं भी हैं उसकी भी टेंशन है पता नहीं मेरी ड्यूटी कहा और किस स्कूल मै लगे अमित कहता है।

अगर तेरा नसीब उसके साथ लिखा होगा तो भगवान जी जरूर कोई ना कोई रास्ता बना देंगे । जिससे की तेरी उससे दूसरी मुलाकात हो सके भगवान पर भरोसा रख । और अब सोने चल रात काफी हो गई है सुबह तूझे शहर भी जाना है ये कहता हुआ राकेश अमित का हाथ पकड़ कर कमरे मैं ले जाता है और दोनों अपने अपने बिस्तर पर लेट जाते है।

राकेश तो सो गया । लेकिन अमित की आंखों से नींद हो कर नहीं गुजर रही थी वो बैचेन था । जब जब आंखे बंद कर्ता अंजली का चेहरा उसकी आंखो के सामने आ जाता । वो सोचता काश उसके पास उसकी कोई तस्वीर या कोई निशानी होती जिसे देखकर वो उसके पास होने का तसव्वुर करता और सुकून  की नींद सो जाता । फिर ना जाने कब उसकी आंख लग गई और वो सो गया। 

अगली सुबह अमित नहा धोकर तैयार हो गया और नाश्ता पानी कर के मौसा मौसी का आशीर्वाद ले कर शहर के लिए रवाना हो जाता है। राकेश उसे बस स्टेशन छोड़ने जाता है। भाई तू परेशान मत हो भगवान ने चाहा तो तेरी दूसरी मुलाकात जरूर हो जाएगी। मोहब्ब्त मै ऐसी छोटी छोटी परेशानियां तो आती ही रहती है। चल अब बस भी आ गई 

शहर जाकर मौसा मौसी को मेरा पिरनाम देना। और फ़ोन पर मुझे बता देना पोहोच कर । ठीक है मेरे भाई तुम भी अपना खयाल रखना ये कहता हुआ वो बस में चढ़ कर राकेश को हाथ हिलाते हुए वहा से विदा हुआ।

राकेश भी घर की तरफ वापिस हो चला।

अंजली भी स्कूल चली गई  । मंजू को स्कूल मै ना देख वो उदास हुई और पढ़ाई मै लग गई । क्योंकि एग्जाम मै सिर्फ कुछ ही हफ्ते बचे थे।

शाम को अंजली मंजू के घर जाती हैं। मंजू अपने पापा के मोबाइल में सगाई  की खेचीं तस्वीरों को दिखाती है। अंजली की नज़र अमित पर जाति हैं। वो उसे देख कर मन ही मन मुस्कुराती हैं और उसे करीब से देखती हैं। क्या हुआ क्यू इतनी गोर गौर से देख रही हैं जानती है क्या तू इसे। मंजू कहती हैं।

अंजली मैं,,,,,, मै। मै भला क्यों किसी को देखूंगी क्या पता कोन है घबराती हुई कहती हैं। मंजू ये  राकेश का मौसी का बेटा है शहर रहता है कल मिलवाया था राकेश ने उससे बोहोत ही खुशमिजाज लड़का 
 है मुझे तो बोहोत अच्छा लगा ।

चल छोड़ अब उसके गुण गान करना ये बता तू खुश तो हे ना और एग्जाम की तैयारी हो गाई। अंजली कहती है

खुश बोहोत ज्यादा खुश। एग्जाम की तैयारी भी बस चल ही रही है कल भी जल्दी सो गई थी और १० बजे उठी सुबह । ओह भगवान तूझे फैल होने से डर नहीं लगता अंजली हैरत से पूछती हैं।
पास भी हो जाएंगे तब भी तो वहीं करना है चूल्हा चोखा सास ससुर की खिदमत, बच्चो की परवरिश। तो फिर बेफजूल मै अपना दिमाग खपाना पढ़ाई मै । राकेश के माता पिता को घर से बाहर काम करने वाली औरते पसन्द नहीं । उसके घर मै बहुएं सिर्फ और सिर्फ घर का काम करती है और मर्द बाहर का । मंजू कहती हैं।

बडी ही पुरानी सोच रखते है तेरे ससुराल वाले आज के दौर मै । अंजली कहती है। हा बहन अब जो भी है । होगा तो मेरा ससुराल मानना तो मुझे अपने पति और ससुराल वालो की ही पड़ेगी । यही रीत हैं। 

चल जो भी हो बस भगवान करे तू अपने घर खुश  रहे कोई परेशानी ना हो । दोनों एक दूसरे से गले लगती हैं । तेरी बोहोत याद आयेगी पिता जी के बाद अगर कोइ है जिससे मैं सबसे ज्यादा अपने दिल के करीब समझती हू वो तू है। तू सिर्फ दोस्त नहीं है मेरी बहन हैं तेरी बोहोत याद आयेगी । मै बिल्कुल अकेली हो जाऊंगी। तेरे जाने के बाद । अंजली कहती है

मुझे भी तेरी याद आयेगी । तू भी मेरे लिए बहन समान है जिसके साथ मै अपने दुख सुख सांझा करती हू।

अंजली चल अच्छा अब मैं चलती हूं । तू भी पढ़ाई कर में भी जाकर पढ़ाई करती हू । ये कह कर अंजली वहा से चली जाती है ।

दोनों की दोनों पढ़ाई मै व्यस्त हो गई । स्कूल बंद हों चूके थे सब को एंट्री कार्ड मिल गया था । अब बस सब बच्चे बेसब्री से एग्जाम का इतंजार कर रहे थे ।

चार हफ्तों बाद 

अंजली और मंजू अपने घर से बड़ो का आशीर्वाद लेकर परीक्षा के लिए निकलते है । भगवान करे किसी अच्छे अध्यापक की ड्यूटी पढ़े आज । ऐसा लग रहा है मानो कुछ याद ही ना हो । मंजू कहती है।

तू परेशान मत हो सब ठीक होगा। आज वैसे भी हिंदी का ही तो पेपर है कोन सा भोतिक या रसायन विज्ञान का। अंजली कहती है।

सब क्लास मे अपने रोल नंबर के हिसाब से बैठ जाते है। अमित जिसकी ड्यूटी भी उसी गांव मे पढ़ी थी । लेकिन उसे ये नही पता था की मंजू के स्कूल मै पढ़ी थी।

क्लास मै जब अमित आता है। तब उसकी नज़र अंजली पर पढ़ती हैं। वो उसे देख खुश हो जाता है। उसने सोचा ना था की दूसरी मुलाकात उसकी एग्जामिनेशन हॉल मै । होगी जहा वो उसका अध्यापक होगा और वो उसकी शिक्षिका ।

अंजली ने उसे नही देखा एग्जाम की टेंशन मै । पेपर मिल चुका होता है और सब बच्चे अपना अपना पेपर लिखते है। अमित सिर्फ कुर्सी पर बैठ कर बार बार अंजली को ही देखे जाता है। लेकिन अंजली ने ३ घंटो के पेपर मै एक बार भी उसकी तरफ नही देखा। या फ़िर एग्जाम की टेंशन मै देख कर अंधेका कर दिया।

पेपर छूटने के बाद , अमित जल्दी से बाहर आ जाता है क्लास के वो जानता था की मंजू भी कही ना कहीं जरूर होगी। और आखिर मै उसकी नज़र मंजू पर पढ़ी और उसने उसे आवाज दी। अंजली भी मंजू के साथ होती है। अरे अमित तुम यहां केसे मंजू पूछती हैं।

वो क्या है ना मेरी ड्यूटी इसी गांव मै पढ़ी थी लेकिन ये नही जानता था की तुम्हारे ही स्कूल में पढ़ी है। और तुम्हारा एग्जाम केसा गया । अमित पूछता है।

ठीक ही था । जो जो आता था लिख दिया बाकी भगवान भरोसे।  मंजू कहती हैं। इतना आसान तो पेपर था तू कह रही है ठीक था । अंजली कहती है। हा इतना अच्छा था की इन मैडम ने एक बार भी मजाल है जो अपनी गर्दन पेपर लिखने से उठाई हो बस दूसरी कॉपी मांगने के लिए ही अपनी गर्दन उठाती और फिर एग्जाम देने लग जाती है। 

तीन घंटे मै इन मोहतरमा ने एक बार भी मेरी तरफ नही देखा कि कुछ हाय हेलो कर लू । अमित ताना मारते हुए कहता है।

तुम इस के क्लास मै थे वा अंजली तू तो सही थी किसी से पूछ भी सकती थी। मेरे क्लास मै तो एक खडूस बुड्ढा था जो बच्चो को पीछे मुड़ने तक नही दे रहा था।

ऐसा नही है मेने आप को पहचान लिया था बस एग्जाम की वजह से मैने आपको हाय हेलो नही कहा । अंजली कहती है।

चले मंजू अब घर जाकर थोड़ा आराम करके दूसरे पेपर की भी तैयारी करनी है। अंजली कहती हैं। हा चल यार मैं तो सोऊंगी जा कर सुबह मां ने पांच बजे ही उठा दिया था। चलो अमित फिर मिलते हैं ।
मंजू कहती है

और वो दोनों वहा से चली जाती है। अमित वही खडे हो कर ना जाने क्यों अंजली के पलट कर देखने का इतंजार कर रहा होता हैं। और तभी किसी की आवाज देने पर वो क्लास रूम मैं चला जाता है।

अगले पेपर मै अमित ने अपनी ड्यूटी जान बूझ कर अंजली वाले कमरे मैं लगवाई। अंजली पेपर कर रही होती है कि अचानक उसका पैन रुक जाता है चलते चलते उसने क्लास से एक्स्ट्रा पैन मांगा पर किसी के पास दूसरा पैन ना होता। फिर अमित उसको अपना पैन देता है लिखने को।

पेपर के बाद अंजली ने अमित का धन्यवाद किया और बोली आज तो मेरा पेपर छूट ही जाता अगर आप ना होते तो हमारे होते हुए आप केसे फेल हो सकती है भला। अमित मुस्कुराते हुए कहता है।

अंजली को अमित की  बाते अच्छी लगी। मंजू के साथ वो जाने लगी अमित वही खडा उसके पलटने का इतंजार करता । तभी अंजली भी ना चाहकर भी मुस्कुरा कर उसकी तरफ देखती है। बस उसी दिन उन दोनो ने दोस्ती का पहला कदम बढ़ाया ।

अब अमित बस उस के पेपर का इतंजार करता । अंजली भी उसे देखने को चाहती । इसी तरह उन दोनों के दरमियान दोस्ती की नीव रखी गई। अमित हर एग्जाम मै उसकी क्लास में ही ड्यूटी लगवाता । सारे टीचर पूछते भी ऐसा क्यू ? तब वो कोई ना कोई बहाना बना कर टाल देता ।

धीरे धीरे परीक्षा समाप्त होने को थी। जहा सब बच्चे खुश थे की अब वो आजाद है। वही दूसरी तरफ अंजली और अमित के लिए फिर जुदाई सिर पर खड़ी थी । आख़री
 पेपर वाले दिन अमित अंजली को शाम को नदी किनारे मिलने बुलाता हैं ।
अंजली पहले तो मना करती हैं। लेकिन अमित अपनी दोस्ती की कसम दे देता है और अंजली हा कह देती ।

शाम को अंजली मंजू से मिलने का बहाना बना कर घर से निकलना चाह रही होती है। लेकिन उस की दादी उसे मना कर देती है शाम को निकलने से। दुर्जन फिर भी उसे जल्दी आने का कह कर वहा से भेज देता हैं।

अमित जो नदी किनारे खडे उसका इतंजार करता है। उसे दूर से आता देख काफी खुश होता है। मुझे पता था तुम जरूर आओगी। अमित कहता है। अगर ना आती तब अंजली कहती है। आती केसे नही मैने बुलाया था तुमको अमित कहता है । अंजली मुस्कुराती है। 

दोनो एक जगह बैठ कर ढलते सूरज को देखते हुए बोला। क्या तुम्हारे पास फ़ोन नही है। अमित पूछता है। हमारे गांव मै फ़ोन चंद लोगो के पास है  बाकी सब गांव वाले खत लिखअंजली कहती है

अमित तो तुम लोग अपने रिश्तेदारों से केसे राब्ता करते हो। अमित पूछता है । खत के जरये अमित ये सुन हंसते हुए कहता हैं इस जमाने तो कोई भी खत नही भेजता तुम्हारे गांव वाले अभि भी खत लिखते है। ये कह कर वो ज़ोर ज़ोर से हसने लगता हैं । जिसे देख अंजली को गुस्सा आने लगाता हैं। और वो वहा से आने लगाती है।

अमित उसे रोकते हुए कहता है। मकान नंबर १० जसपुर दुर्जन सिंह। अंजली ये सुन रुक जाती है । तुम्हे मेरे घर का पता केसे चला । अब मैं तुम्हे इसी पते पर खत लिख कर भेजा करूंगा और अपना पता खत मै ही लिख दुंगा ताकि तुम भी मुझे खत का जवाब दे सको ।

अंजली उसकी बातें सुन मुस्कुराती है और इस तरह वो दोनों फिर दोबारा मिलने की आस मै एक बार फिर जुदा हो जाते है ।



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2 Comments

Shnaya

07-Apr-2022 12:16 PM

Very nice👌

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Seema Priyadarshini sahay

22-Feb-2022 06:10 PM

रोचक भाग

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